Sankatmochan Hanuman Ashtak PDF in Hindi

Sankatmochan Hanuman Ashtak PDF: संकटमोचन हनुमान अष्टक भगवान हनुमान जी की स्तुति का एक शक्तिशाली भजन है, जो भक्तों को हर संकट और परेशानी से मुक्ति दिलाने में सहायक होता है। यदि आप हनुमान अष्टक का पाठ करना चाहते हैं, तो यहां “संकटमोचन हनुमान अष्टक PDF हिंदी में” मुफ्त में डाउनलोड करें। इस अष्टक का नियमित पाठ करने से भय, कष्ट और नकारात्मकता दूर होती है और जीवन में सुख-शांति आती है। सरल और स्पष्ट भाषा में उपलब्ध यह पीडीएफ आपको भक्ति के मार्ग पर प्रेरित करेगा। हर संकट से मुक्ति के लिए आज ही डाउनलोड करें!

Sankatmochan Hanuman Ashtak PDF

🚩 संकटमोचन हनुमानाष्टक 🚩

गोस्वामी तुलसीदास कृत
संकटमोचन हनुमानाष्टक

बाल समय रबि भक्षि लियो तब, तीनहुँ लोक भयो अँधियारो ।
ताहि सों त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सों जात न टारो ॥
देवन आन करि बिनती तब, छाँड़ि दियो रबि कष्ट निवारो ।
को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥ 1 ॥

बालि की त्रास कपीस बसै गिरि, जात महाप्रभु पंथ निहारो ।
चौंकि महा मुनि शाप दिया तब, चाहिय कौन बिचार बिचारो ॥
के द्विज रूप लिवाय महाप्रभु, सो तुम दास के शोक निवारो ।
को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥ 2 ॥

अंगद के संग लेन गये सिय, खोज कपीस यह बैन उचारो ।
जीवत ना बचिहौ हम सो जु, बिना सुधि लाय इहाँ पगु धारो ॥
हेरि थके तट सिंधु सबै तब, लाय सिया-सुधि प्राण उबारो ।
को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥ 3 ॥

रावन त्रास दई सिय को सब, राक्षसि सों कहि शोक निवारो ।
ताहि समय हनुमान महाप्रभु, जाय महा रजनीचर मारो ॥
चाहत सीय अशोक सों आगि सु, दै प्रभु मुद्रिका शोक निवारो ।
को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥ 4 ॥

बाण लग्यो उर लछिमन के तब, प्राण तजे सुत रावण मारो ।
लै गृह बैद्य सुषेन समेत, तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो ॥
आनि सजीवन हाथ दई तब, लछिमन के तुम प्राण उबारो ।
को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥ 5 ॥

रावण युद्ध अजान कियो तब, नाग कि फाँस सबै सिर डारो ।
श्रीरघुनाथ समेत सबै दल, मोह भयो यह संकट भारो ॥
आनि खगेस तबै हनुमान जु, बंधन काटि सुत्रास निवारो ।
को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥ 6 ॥

बंधु समेत जबै अहिरावन, लै रघुनाथ पाताल सिधारो ।
देबिहिं पूजि भली बिधि सों बलि, देउ सबै मिति मंत्र बिचारो ॥
जाय सहाय भयो तब ही, अहिरावण सैन्य समेत सँहारो ।
को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥ 7 ॥

काज किये बड़ देवन के तुम, वीर महाप्रभु देखि बिचारो ।
कौन सो संकट मोर गरीब को, जो तुमसों नहिं जात है टारो ॥
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु, जो कछु संकट होय हमारो ।
को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥ 8 ॥

॥ दोहा ॥

लाल देह लाली लसे, अरू धरि लाल लंगूर ।
बज्र देह दानव दलन, जय जय जय कपि सूर ॥

संकटमोचन हनुमान अष्टक क्यों और किस लिए किया जाता है?

संकटमोचन हनुमान अष्टक एक शक्तिशाली भजन है, जो भगवान हनुमान जी की स्तुति में गाया जाता है। इसे तुलसीदास जी ने लिखा था और इसमें हनुमान जी के अद्भुत पराक्रम और संकट हरने की शक्ति का वर्णन किया गया है।

संकटमोचन हनुमान अष्टक करने के लाभ:

  1. संकटों से मुक्ति: इसे पढ़ने से जीवन के सभी प्रकार के कष्ट, दुख और परेशानियां दूर होती हैं।
  2. नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा: नकारात्मक शक्तियों और बुरी नजर से बचाने में यह अष्टक बहुत प्रभावी माना जाता है।
  3. भय और शत्रुओं से रक्षा: इसे पढ़ने से मन में साहस, आत्मविश्वास और निर्भयता का संचार होता है।
  4. स्वास्थ्य और समृद्धि: हनुमान जी की कृपा से व्यक्ति का स्वास्थ्य और आर्थिक स्थिति बेहतर होती है।
  5. शनि दोष और ग्रह बाधा से मुक्ति: शनिदेव की महादशा, ढैय्या और साढ़ेसाती के बुरे प्रभाव से बचाव होता है।
  6. मन की शांति और भक्ति: यह अष्टक हनुमान जी की भक्ति को मजबूत करता है और मन को शांति प्रदान करता है।

कब और कैसे पढ़ें?

  • मंगलवार और शनिवार को पढ़ना विशेष फलदायी होता है।
  • स्नान करने के बाद, शुद्ध भाव से हनुमान जी के सामने बैठकर पाठ करें।
  • 11, 21 या 108 बार नियमित रूप से पढ़ने से जीवन में शुभ फल मिलते हैं।

“संकटमोचन हनुमान अष्टक” का पाठ करें और हनुमान जी की कृपा से हर संकट से मुक्ति पाएं! 🚩 जय हनुमान!

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